सांवले सपनों की याद (सारांश)
सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख और अवसाद को लेखक ने सांवले सपनों की याद के रूप में व्यक्त किया है। सालिम अली का स्मरण करते हुए लेखक ने उनका व्यक्ति चित्र प्रस्तुत किया है।
सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार सांवले सपनों की एक भीड़ मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है। इसे कोई रोक-टोक सके कहां संभव है। इस भीड़ के आगे-आगे चल रहे हैं सालिम अली, अपने कंधों पर सैलानियों की तरफ अपने अंतिम सफर का बोझ उठाए। यह सफर पिछले तमाम सफरों से भिन्न है। भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल मे सालिम अली का यह आखरी पलायन है। अब तो वह वन पक्षी की तरह विलीन हो रहे हैं। कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौट आना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा।
पता नहीं इतिहास में कब कृष्ण ने वृंदावन में रास लीला रची थी और शोख गोपियों को अपनी शरारतो का निशाना बनाया था, कब माखन भरे भाड़े फोड़े थे, दूध-छाली से अपने मुह भरे थे, कब वाटिका के घने पेड़ों की छांव में विश्राम किया था, कब दिल की धड़कनों को तेज कर देने वाली अंदाज में बंसी बजाई थी, कब वृंदावन की पूरी दुनिया संगीतमय हो गई थी। पता नहीं यह सब कब हुआ लेकिन कोई आज भी वृंदावन जाए तो नदी का सावला पानी उसे पूरे घटनाक्रम की याद दिला देगा।
मिथको (प्राचीन कथाओ) की दुनिया में इस सवाल का जवाब करने से पहले कमजोर काया वाले वह व्यक्ति जिसे हम सालिम अली नाम से जानते हैं। उम्र को क्षति पहुंचने मे थोड़े ही दिन बचे थे। संभव है लंबी यात्राओं की थकान ने उनके शरीर को कमजोर कर दिया हो और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी उनकी मौत का कारण बनी। लेकिन अंतिम समय तक मौत उनकी आंखों की वह रोशनी छीनने मे सफल नहीं हुई जो पक्षियों की तलाश और उनकी हिफाजत के प्रति समर्पित थी।
उन जैसा 'बर्ड वाचर' शायद ही कोई हुआ हो, सालिम अली उन लोगों में थे जो प्रकृति के प्रभाव में आने के बजाय प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं। यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी। उनकी जीवन साथी तहमीना ने काफी मदद पहुंचाई थी।
अपने लंबे रोमांचकारी जीवन मे ढेर सारे अनुभवो के मालिक सालिम अली एक दिन केरल की 'साइलेंट वैली' को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर चौधरी चरण सिंह से मिले थे। वे प्रधानमंत्री थे। पर्यावरण के संभावित खतरों का जो चित्र सालिम अली ने उनके सामने रखा, उसने उनकी आंखें नम कर दी थी। आज सालिम अली नहीं है, चौधरी साहब भी नहीं है । कौन बचा है जो अब सोंधी माटी पर उगी फसलों के बीच एक नए भारत की नींव रखने का संकल्प लेगा। हिमालय और लद्दाख की बर्फीली जमीनों पर जीने वाले पक्षियों की वकालत करेगा।
पाठय पुस्तक - कृतिका
सालिम अली ने अपनी आत्मकथा का नाम 'फॉल ऑफ ए स्पैरो' रखा था। डी एच लॉरेंस की मौत के बाद लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीडा लॉरेंस से अनुरोध किया है कि वह अपने पति के बारे में कुछ लिखें फ्रीडा लॉरेंस अपने पति के बारे में ढेर सारी बातें लिख सकती थी पर उन्होंने कहा मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में मुझसे अधिक जानकारी रखती है।
जटिल प्राणियों के लिए सालिम अली हमेशा एक पहेली बने रहेंगे। बचपन के दिनों में उनकी एयर गन से घायल होकर गिरने वाली नीलकंठ की वह गौरैया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ ले जाती रही। वह लॉरेंस की तरह नैसर्गिक (स्वभाविक) जिंदगी के प्रतिरूप बन गए थे। सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने के बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे। जो लोग उनके भ्रमणशील स्वभाव और उनकी यायावरी से परिचित है, उन्हें महसूस होता होगा कि वह आज भी पक्षियों के सुराग में निकले हैं और गले में लंबी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएंगे।
जाबिर हुसैन
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1 - किस घटना में सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर - सालिम अली के बचपन के दिनों में उनकी एयरगन से घायल होकर गिरने वाली, नीलकंठ की वह गौरैया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ ले जाती रही। इस घटना ने सलीम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया।
प्रश्न 2 - सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आंखें नम हो गई थी?
उत्तर - अपने लंबे रोमांचकारी जीवन में ढेर सारे अनुभवों के मालिक सालिम अली एक दिन केरल की 'साइलेंट वैली' को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे। पर्यावरण के संभावित खतरों का जो चित्र सालिम अली ने उनके सामने रखा उसने उनकी आंखें नम कर दी थी।
प्रश्न 3 - लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा कि "मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?"
उत्तर - लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि लॉरेंस प्रकृति प्रेमी थे। उनका प्रकृति के साथ गहरा लगाव था और वह उनकी छत पर बैठने वाली गौरैया के साथ अधिक समय बिताते थे । इसलिए उनकी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती थी ।
प्रश्न 4 आशय स्पष्ट कीजिए
क) वह लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
उत्तर - लॉरेंस प्रकृति प्रेमी थे। उनका प्रकृति के साथ गहरा लगाव था। सालिम अली भी उन्हीं की तरह प्रकृति प्रेमी बनकर स्वाभाविक जिंदगी के प्रतिरूप बन गए थे।
ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के कि दोबारा कैसे जा सकेगा।
उत्तर - लेखक का आशय यह है कि कोई व्यक्ति अपने शरीर की गर्मी और अपने दिल की धड़कन देकर भी सालिम अली को लौटाना चाहे तो नहीं लौटा सकता है और वह प्रकृति प्रेमी दोबारा अपनी प्रकृति मैं कैसे आ सकता है उसका आना मुमकिन नहीं है।
ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने के बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर - सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने के बजाय अथाह सागर बनकर उभरे, जिस प्रकार टापू सागर के ऊपर बहुत ही कम भाग में दिखता है पर सालिम अली ने प्रकृति के ऊपरी भाग को न छुकर सागर की विशाल गहराई की तरह प्रकृति को जाना है। प्रकृति की नई-नई खोजों ने उन्हें प्रकृति प्रेमी, बर्डवाचर व प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी नामों की उपाधि प्राप्त हुई है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी प्रकृति को ही समर्पित कर दी । इसलिए वे सागर की तरह विशाल प्रकृति प्रेमी के रूप में उभर कर आए।
प्रश्न 5 - इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा - शैली की चार विशेषताएं बताइए।
उत्तर - इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा - शैली की चार विशेषताएं -
1) प्रस्तुत प्रसंगो वह घटनाओं का व्यक्तिगत चित्रण किया गया है।
2) इस पाठ में हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी तीनो भाषाओं का प्रयोग किया गया है।
3) लेखक ने अपने विचारों को सरल शब्दावली के रूप में व्यक्त किया है।
4) लेखक ने डायरी विधा व अभिव्यक्ति अभिनव की नवीन शैली का प्रयोग किया है।
प्रश्न 6 - इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर - लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का चित्र प्रकृति के प्रति बहुत संवेदनशील दिखाया है। बचपन में उनकी एयरगन से घायल होने वाली गौरैया उनको पक्षी प्रेमी बना देती है और उनको प्रकृति की ओर ले जाती है, जिससे प्रभावित होकर वह प्रकृति की नई - नई खोजों में जुट जाते हैं। यह नई खोजें उन्हें प्रकृति प्रेमी बना देती है। वह एक लंबी दूरबीन लटकाए पक्षियों की खोज में एक लंबे भ्रमण पर निकल जाते थे और अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आते थे। शायद लंबी यात्राओं की थकान से उनका शरीर कमजोर हो गया होगा जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी उनकी मौत का कारण बन जाती है। अंतिम समय तक सालिम अली पक्षियों की तलाश और उनकी हिफाजत के प्रति समर्पित थे।
प्रश्न 7 - 'सांवले सपनों की याद' शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर - 'सांवले सपनों की याद' शीर्षक का अर्थ बीते समय की सुंदर यादें हो सकती है। जो अब सपनों की भांति प्रतीत होती है। ऐसी यादें जो भूली नहीं जाती हैं और सुंदर सपनों की तरह आंखों में बसी रहती हैं पर 'सांवले सपनों की याद' कहानी का शीर्षक लोगों में एक जिज्ञासा उत्पन्न करता है। जैसे - यह कैसे सपने हैं और किसकी याद में कहानी लिखी गई है। यह जिज्ञासा तब तक खत्म नहीं होती है जब तक वह इस कहानी के बारे में पूरा जान नहीं लेता है। यहां लेखक ने अपनी यादो और विचारों को 'सांवले सपनों की याद' कहानी के रूप में व्यक्त किया है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8 - प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर - प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित रुप से योगदान दे सकते हैं
1) अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं।
2) नालियों और तालाबों को साफ सुथरा व स्वच्छ रखकर।
3) कूड़ा जगह - जगह नहीं फैक कर, गीला कूड़ा अलग और सुखा कूड़ा अलग रखकर उसे नष्ट कर दें।
4) जंगलों के कटाव पर रोक लगाकर।
5) लोगों को पर्यावरण के बारे में जानकारी देकर और पर्यावरण के प्रति जागरूक करके प्रोत्साहित कर सकते हैं।
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