नाना साहब की पुत्री देवी मैना को
भस्म कर दिया गया (सारांश)
भस्म कर दिया गया (सारांश)
सन 1857 ई० के विद्रोही नेता धुंधपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वह जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ नहीं ले जा सके। देवी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी, पर विद्रोह दमन करने के बाद अंग्रेजों ने बड़ी क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया। उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण ह्रदय को भी एक बार द्रवित कर देता है।
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेजों का सैनिक दल बिठूर की ओर गया। बिठूर में नाना साहब का राज महल लूट लिया गया, इसके बाद तोप के गोलो से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया। उस समय महल के बरामदे में एक अत्यंत सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गई। उस बालिका ने बरामदे में खड़ी होकर अंग्रेज सेनापति को गोले बरसाने से मना किया।
पाठय पुस्तक -क्षितिज (Class 9 Hindi)
पाठ 2 - ल्हासा की ओर --------------------------------------
सेनापति - यह मकान विद्रोहियों के नेता नाना साहब का वास स्थान था। सरकार ने इसे विध्वंस कर देने की आज्ञा दी है।
बालिका - आप के विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाए थे वे दोषी हैं, पर इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका क्या अपराध किया है। यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है इसीलिए मैं प्रार्थना करती हूं कि इस मकान की रक्षा कीजिए।
बालिका ने अपना परिचय बताते हुए कहा, "मैं जानती हूं आप जनरल 'हे' है। आपकी प्यारी कन्या मैरी और मुझ में प्रेम संबंध था। वह मेरी सहचरी थी। तब आप भी हमारे यहां आते थे और मुझे अपनी पुत्री के समान प्यार करते थे। मैरी की मृत्यु से मैं बहुत दुखी हुई थी।"
सेनापति 'हे' बोले, "हां मैंने तुम्हें पहचान लिया तुम मेरी पुत्री मैरी की सहचरी मैंना हो। किंतु मैं जिस सरकार का नौकर हूं, उसकी आज्ञा नहीं टाल सकता। पर फिर भी मैं तुम्हारी रक्षा का प्रयत्न करूंगा।
उसी समय प्रधान सेनापति जरनल अउटरम वहां आ पहुंचे और उन्होंने बिगड़ कर सेनापति 'हे' से कहा, "नाना साहब का महल अभी तक तोप से क्यों नहीं उड़ाया गया। इसके बाद जरनल अउटरम ने नाना साहब का महल फिर से घेर लिया। महान का फाटक तोड़कर अंग्रेज सिपाही भीतर घुस गए और मैना को खोजने लगे, किंतु सारे महल का कोना-कोना खोज डाला, पर मैना का कहीं पता नहीं लगा। उसी क्षण क्रूर जरनल अउटरम की आज्ञा से नाना साहब के सुविशाल राज मंदिर पर तोप के गोले बरसने लगे। घंटे भर में वह महल मिट्टी में मिला दिया गया।
उस समय लंदन के 'सुप्रसिद्ध टाइम्स पत्र' में 6 सितंबर को यह एक लेख में लिखा गया। "बड़े दुख का विषय है, कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दांत नाना साहब को नहीं पकड़ सकी जिस पर समस्त अंग्रेज जाति का भीषण क्रोध है।"
सन 57 के सितंबर मास में अर्धरात्रि के समय चांदनी में एक बालिका स्वच्छ उज्जवल वस्त्र पहने हुए नाना साहब के भनावशिष्ट प्रसाद के ढेर पर बैठी रो रही थी। कुछ सैनिक रात्रि के समय रोने की आवाज सुनकर वहां गए। सैनिकों के प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं दे रही थी। इसके बाद कराल रूप धारी जनरल अउटरम भी वहां पहुंच गया। वह उसे तुरंत पहचान कर बोला - ओह यह नाना साहब की लड़की मैना है, वह अपने चारों ओर सैनिकों को देखकर जरा भी नहीं डरी। जनरल अउटरम ने आगे बढ़कर कहा - अंग्रेज सरकार की आज्ञा से मैंने तुम्हें गिरफ्तार किया। मैंना उसकी मुंह की और देख कर आतर् स्वर में बोली मुझे कुछ समय दीजिए, जिसमें मैं यहां जी भर कर रो लूं। पर पाषाण हृदय वाले जनरल ने उसकी अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं होने दी। उसे कानपुर किले में लाकर केद कर दीया।
पाठय पुस्तक - कृतिका
उस समय महाराष्ट्रीय इतिहासवेता महादेव चिटनवीस के बाकर पत्र में छपा था - "कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि मे शांत और सरल मूर्ति अनुपमा बालिका को जलती देख सबने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।"
चपला देवी
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1 - बालिका मैना ने सेनापति 'हे' को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?
उत्तर - 1) मैं जानती हूं आप जनरल 'हे' हैं। आपकी कन्या मैरी मेरी सहचरी थी। उस समय आप भी हमारे यहां आते थे और मुझे अपनी पुत्री के समान प्यार करते थे।
2) आप के विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाए थे, वे दोषी है पर जड़ पदार्थ मकान ने आपका क्या अपराध किया है। मेरा उदेश्य इतना ही है कि यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है। इसलिए मैं प्रार्थना करती हूं कि इस महल की रक्षा कीजिए।
प्रश्न 2 - मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यो?
उत्तर - मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी क्योंकि वह स्थान उसे बहुत प्रिय था। पर अंग्रेज उसे इसलिए नष्ट करना चाहते थे। वह मकान विद्रोहियों के नेता नाना साहब का वास स्थान था। सरकार ने उसे नष्ट कर देने की आज्ञा दी थी।
प्रश्न 3 - सर टामस 'हे' के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे?
उत्तर - सर टामस 'हे' के मैना पर दया-भाव के निम्नलिखित कारण थे
1) मैंना सर टामस की पुत्री की सहचरी थी।
2) 'हे' मैना के घर भी जाते थे तथा उनके साथ अच्छा प्रेम संबंध था।
3) 'हे' मैना को अपनी पुत्री के समान प्यार करते थे।
4) मैना के साथ 'हे' कि पुत्री मैरी की यादें जुड़ी थी।
प्रश्न 4 - मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रसाद के ढेर पर बैठकर जी भर कर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी?
उत्तर - मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रसाद के ढेर पर बैठकर जी भर कर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल को भय था कि नाना साहब की पुत्री मैना उसकी पकड़ से छूट नहीं जाए और अंग्रेज सरकार का भी सख्त आदेश था कि नाना साहब की पुत्री मैना को गिरफ्तार किया जाए।
प्रश्न 5 - बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएं आप अपनाना चाहोगे और क्यों?
उत्तर - बालिका मैना के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं हैं -
1) मैंना बोलने में निपुण थी। वह जनरल 'हे' को अपनी बातों के तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित कर देती है।
2) मैंना एक निर्भय बालिका है। वह अपने चारों और सैनिकों को देखकर जरा भी नहीं डरती है।
3) मैंना सुंदर व करुणा की मूरत है।
4) वह एक आत्म विश्वासी बालिका है।
हम इन विशेषताओं को अपनाना चाहेंगे क्योंकि यह गुण व्यक्तित्व को संपूर्ण बनाते हैं।
प्रश्न 6 - 'टाइम्स' पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दांत नाना साहब को नहीं पकड़ सकी। इस वाक्य में भारत सरकार से क्या आशय है?
उत्तर - इस वाक्य में भारत सरकार से आशय अंग्रेजी शासन से है क्योंकि उस समय अंग्रेज धीरे-धीरे भारत को अपने अधीन कर रहे थे।
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