Class 9 Hindi NCERT Solutions
पाठय पुस्तक -क्षितिज
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Notes, Class 9 Hindi Kshitij Syllabus, Class 9 Hindi Kshitij Book
गद्य - खंड
गद्य - खंड
रसखान - सवैया
1
मानुष हो तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन ।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन ।
जौ खग हौ तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन ।
जौ खग हौ तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कृष्ण भूमि के प्रति कवि रसखान का प्रेम भाव व्यक्त हुआ है। कवि कहते हैं। मेरे वश में कुछ भी नहीं है। अगर मेरे बस में होता तो मैं अगला जन्म मनुष्य रूप में ब्रज में गोकुल गांव का ग्वाला बनकर रहता। अगर पशु रूप में जन्म लेता तो प्रतिदिन नंद की गायों के बीच में चरता। अगर पत्थर रूप मिलता तो पर्वत बनना चाहता। जिसे कृष्ण अपनी छोटी उंगली में धारण कर अपनी छत्र बना लेते और पक्षी के रूप में यमुना नदी के किनारे कदंब की डाल में रहता ।
2
या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को ताजि डारौं ।
आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाय चराई बिसरौं।।
रसखान कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौ ।
कोटक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौ।।
कवि कहते हैं कि उन्हें कृष्ण की लाठी और कंबल इतना प्रिय है कि उसके लिए तीनों लोको का राज भी निछावर कर देंगे और आठो सिद्धियां, नौ निधियो में उन्हें वह सुख नहीं मिलता है जो नंद की गायों को चराने में मिलता है। रसखान कहते हैं वह अपनी आंखों से ब्रज के वन, बाग, तालाब को ही निहारना चाहते हैं जिसके लिए वह सोने-चांदी के महल को कांटेदार झाड़ियां के ऊपर वार देना चाहते हैं अर्थात सोने-चांदी के महल को भी छोड़ देना चाहते हैं।
आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाय चराई बिसरौं।।
रसखान कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौ ।
कोटक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौ।।
कवि कहते हैं कि उन्हें कृष्ण की लाठी और कंबल इतना प्रिय है कि उसके लिए तीनों लोको का राज भी निछावर कर देंगे और आठो सिद्धियां, नौ निधियो में उन्हें वह सुख नहीं मिलता है जो नंद की गायों को चराने में मिलता है। रसखान कहते हैं वह अपनी आंखों से ब्रज के वन, बाग, तालाब को ही निहारना चाहते हैं जिसके लिए वह सोने-चांदी के महल को कांटेदार झाड़ियां के ऊपर वार देना चाहते हैं अर्थात सोने-चांदी के महल को भी छोड़ देना चाहते हैं।
3
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी।
ओढ़ि पितंबर लै लकुठी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी ।।
भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।
कवि कहते हैं गोपिया कृष्ण सौंदर्य के प्रति इतनी प्रेम मुग्ध हैं कि कृष्ण का रूप धारण करना चाहती हैं इसलिए कृष्ण की तरह गोपिया सर पर मोर पंख लगा लेती हैं गले में फूलों की माला पहन लेती हैं और पीले वस्त्र धारण करके हाथ पर लाठी लेकर गाय के ग्वालो के साथ वन में जाने लगती है। रसखान कहते हैं मेरे मन को तो कृष्ण ही भाँते हैं। तुम सब ने तो उनका रूप धारण किया है। तुम सब अपने मुख पर कृष्ण की मुरली कभी नहीं लगा सकती।
ओढ़ि पितंबर लै लकुठी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी ।।
भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।
कवि कहते हैं गोपिया कृष्ण सौंदर्य के प्रति इतनी प्रेम मुग्ध हैं कि कृष्ण का रूप धारण करना चाहती हैं इसलिए कृष्ण की तरह गोपिया सर पर मोर पंख लगा लेती हैं गले में फूलों की माला पहन लेती हैं और पीले वस्त्र धारण करके हाथ पर लाठी लेकर गाय के ग्वालो के साथ वन में जाने लगती है। रसखान कहते हैं मेरे मन को तो कृष्ण ही भाँते हैं। तुम सब ने तो उनका रूप धारण किया है। तुम सब अपने मुख पर कृष्ण की मुरली कभी नहीं लगा सकती।
4
काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै।।
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुझैहै ।
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।।
कवि कहते हैं कि कृष्ण की मुरली की धुन इतनी मधुर है जिसे सुनकर गाय भी झूमने लगती हैं। गोपिया भी मुरली की धुन सुनकर अपने वश में नहीं रहती। जिसके डर से गोपिया मुरली की मंद-मंद धुन सुनकर अपने कानों में उंगली डाल देती हैं क्योंकि मुरली की धुन सुनकर गोपियों की मुस्कान संभाले नहीं संभाली जाती। गोपिया कहती हैं कि वह किस-किस को समझाएं । यह ब्रज के लोग उनकी बात नहीं समझेंगे और उनकी मुस्कान देखकर ब्रज के लोग समझ जाएंगे कि वह कृष्ण के प्रेम में मुग्ध है।
मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै।।
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुझैहै ।
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।।
कवि कहते हैं कि कृष्ण की मुरली की धुन इतनी मधुर है जिसे सुनकर गाय भी झूमने लगती हैं। गोपिया भी मुरली की धुन सुनकर अपने वश में नहीं रहती। जिसके डर से गोपिया मुरली की मंद-मंद धुन सुनकर अपने कानों में उंगली डाल देती हैं क्योंकि मुरली की धुन सुनकर गोपियों की मुस्कान संभाले नहीं संभाली जाती। गोपिया कहती हैं कि वह किस-किस को समझाएं । यह ब्रज के लोग उनकी बात नहीं समझेंगे और उनकी मुस्कान देखकर ब्रज के लोग समझ जाएंगे कि वह कृष्ण के प्रेम में मुग्ध है।
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पाठय पुस्तक - कृतिका
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Notes
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प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1 - ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन - किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर - ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम मनुष्य के रूप में गोकुल का ग्वाला बनकर, पशु के रूप में, नंद की गाय बनकर, पक्षी के रूप में यमुना नदी के कदंब की डाल में रहना आदि रूपों में अभिव्यक्त हुआ है।
उत्तर - ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम मनुष्य के रूप में गोकुल का ग्वाला बनकर, पशु के रूप में, नंद की गाय बनकर, पक्षी के रूप में यमुना नदी के कदंब की डाल में रहना आदि रूपों में अभिव्यक्त हुआ है।
प्रश्न 2 - कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण है?
उत्तर - कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे का कारण यह है कि उनका कृष्ण के प्रति अथाह प्रेम और भक्ति है इसलिए उन्हें कृष्ण की भूमि भी बहुत प्रिय लगती है।
प्रश्न 3 - एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?
उत्तर - एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को तैयार है क्योंकि यह लाठी और कंबल कृष्ण का है और कृष्ण के प्रेम में जो सुख आनंद उन्हें मिलता है। वह संसार की किसी वस्तु में नहीं मिलता है इसलिए इस सुख के आगे वह तीनों लोको का राज भी न्योछावर करने को तैयार है।
प्रश्न 4 - सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर - सखी ने गोपी से कृष्ण जैसा मनमोहन रूप धारण करने का आग्रह किया था। तब गोपिया कृष्ण की तरह सर पर मोर पंख लगाकर, गले में फूलों की माला पहनकर, पीले वस्त्र पहनकर और हाथों में लाठी लेकर गाय के ग्वालो के साथ वन जाने लगी।
प्रश्न 5 - आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निद्य क्यों प्राप्त करना चाहता है ?
उत्तर - कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निद्य इसलिए प्राप्त करना चाहता है। उनका कृष्ण और कृष्ण भूमि के प्रति अति प्रेम है। जिसके लिए वह समर्पण करने को तैयार है इसलिए वह चाहते हैं उनका अगला जन्म किसी भी रूप में हो पर वह ब्रजभूमि में हो। जिससे वह अपने श्री कृष्णा की यादो के समीप ही रहे।
प्रश्न 6 - चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
उत्तर - कृष्ण के मुरली की धुन की मोहिनी तान सुनकर गोपियों अपनी मुस्कान और खुद को रोक नहीं पाती हैं। वह मुरली की मधुर धुन मेंइतनी खो जाती है कि वह सब कुछ भूल जाती है इसलिए गोपिया अपने आप को विवश पाती हैं।
प्रश्न 7 - भाव स्पष्ट कीजिए
क) कोटक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौ।
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति में कवि का समर्पण भाव व्यक्त हुआ है। कृष्ण भूमि ब्रज के वन, बाग, तालाब को देखने में जो सुख उन्हें मिलता है। वह सुख अन्य किसी में नहीं मिलता है इसलिए इन कांटेदार झाड़ियां के ऊपर वह सोने - चांदी के महल को भी न्योछावर कर देना चाहते हैं।
ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
उत्तर - इस पंक्ति में गोपिया कृष्ण के मुरली की मधुर धुन सुनकर अपने आप को विवश पाती हैं इसलिए गोपिया कहती हैं कि वह कृष्ण की मुरली की मोहिनी तान सुनकर इतनी खो जाती हैं। वह खुद को और अपने मुख की मुस्कान को रोक नहीं पाती हैं।
प्रश्न 8 - 'कालिंदी कूल कदंब की डारन' में कौन - सा अलंकार है?
उत्तर - अनुप्रास अलंकार
प्रश्न 9 - काव्य - सौंदर्य स्पष्ट कीजिए -
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।
उत्तर - कवि रसखान कृष्ण के भक्त थे। काव्य मैं उनके कृष्ण भक्ति और कृष्ण भूमि के प्रति अनन्य अनुराग और प्रेम का अनुपम सौंदर्य प्रकट हुआ है। कवि अपने शब्द चयन तथा व्यंजन शैली के लिए भी प्रसिद्ध है। उनकी भाषा में ब्रजभाषा का सरस प्रयोग मिलता है
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 10 - प्रस्तुत सवैये में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर - मातृभूमि हमारी जन्मभूमि होती है। अपनी जन्मभूमि हर किसी को प्रिया होती हैऔर मातृभूमि से जुड़ी यादें हमेशा याद रहती हैं। चाहे कहीं भी जाकर रहो पर अपनी मातृभूमि को कभी भी नहीं भूल सकते हैं। वहां की हर वस्तु बहुत प्यारी लगती है।
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Class 9 Subjects
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