Class 9 Hindi kshitij Chapter 3 - उपभोक्तावाद की संस्कृति - Arvindzeclass - NCERT Solutions

Post Top Ad

🎓

Welcome to Arvind ZeClass!

✨ Explore our latest AI-powered learning modules and smart evaluation tools to boost your study experience.

Tuesday, February 21, 2023

Class 9 Hindi kshitij Chapter 3 - उपभोक्तावाद की संस्कृति


 Class 9 Hindi NCERT Solutions

पाठय पुस्तक -क्षितिज 

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Notes, Class 9 Hindi Kshitij Syllabus, Class 9 Hindi Kshitij Book
गद्य  - खंड



उपभोक्तावाद की संस्कृति ( सारांश )

धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है। एक नई जीवन - शैली अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। एक नया दर्शन उपभोक्तावाद का दर्शन। चारों ओर उत्पादन बढ़ाने पर जोर है।

यह उत्पादन आपके लिए है, आपके भोग के लिए है, आपके सुख के लिए है। 'सुख' की व्याख्या बदल गई है। उपभोग - भोग ही सुख है। एक सूक्ष्म बदलाव आया है नई स्थिति में। उत्पाद तो आपके लिए है पर आप यह भूल जाते हो कि जाने - अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं।

विलासिता की सामग्रियों से भरा पड़ा यह बाजार आप को लुभाने की निरंतर कोशिश में लगी रहती है। दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं को ही ले लीजिए। टूथपेस्ट चाहिए? यह दांतों को मोती जैसा चमकीला बनाता है, जो मुंह की दुर्गंध को हटाता है, यह मसूड़ों को मजबूत बनाता है और यह पूर्ण सुरक्षा देता है। पेस्ट अच्छा है तो ब्रश भी अच्छा होना चाहिए। दुर्गंध के लिए माउथवॉश भी चाहिए इतनी चीजों का बिल भी काफी बड़ा होगा क्योंकि आप शायद बहुविज्ञापित और कीमती ब्रांड खरीदना ही पसंद करेंगे। सौंदर्य प्रसाधनों की भीड़ तो चमत्कृत कर देने वाली है। हर - माह में नए - नए उत्पाद जुड़ते जाते हैं। साबुन ही देखिए। एक में हल्की खुशबू है, दूसरा शरीर को तरोताजा रखता है तो कोई  पसीना रोकता है। संभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर 30 - 30 हजार की सौंदर्य सामग्री होना तो मामूली बात है पुरुष भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। 

------------------------
Class 9 Subjects
------------------------


अब सामग्री, वस्तु और परिधान की दुनिया में आइए। जगह-जगह बुटीक खुल गए हैं, नए - नए डिजाइन के परिधान बाजार में आ गए हैं। यह ट्रेडिंग है और महंगी भी है। पिछले वर्ष के फैशन इस वर्ष पहनना तो शर्म की बात है। जो घड़ी  चार - पांच सौ की मिल जाएगी, हैसियत जताने के लिए पचास - साठ से लाख डेढ़ लाख की घड़ी भी ले सकते हैं। संगीत की समझ हो न हो किंतु म्यूजिक सिस्टम जरूरी है। खाने के लिए पांच सितारा होटल है।

अब विषय के गंभीर पक्ष की ओर आइए। इस उपभोक्ता संस्कृति का विकास भारत में क्यों हो रहा है । सामंती संस्कृति के तत्व भारत में पहले भी रहे हैं, उपभोक्तावाद की संस्कृति से जुड़ा रहा है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आस्थाओं का नाश  हुआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता को स्वीकार कर रहे हैं पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं, हमारी नई संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है।


--------------------------------------

पाठय पुस्तक - कृतिका 

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika
 
--------------------------------------

अंततः इस संस्कृति के फैलाव का परिणाम क्या होगा यह गंभीर चिंता का विषय है। हमारे सीमित संसाधनों का घोर अपव्यय हो रहा है। जीवन की गुणवत्ता आलू के चिप्स से नहीं सुधरती। न बहुविज्ञापित शीतल पेयो से, पिज्जा और बर्गर कितनी ही आधुनिक हो, पर वह कूड़ा खाद्य ही है। जीवन स्तर का यह बढ़ता अंतर आक्रोश और अशांति को जन्म दे रहा है। हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का ह्रास तो हो ही रहा है, हम लक्ष्य - भ्रम से भी पीड़ित है।

गांधी जी ने कहा था कि हम स्वस्थ सांस्कृतिक प्रभाव के लिए अपने दरवाजे - खिड़की खुले रखें पर अपनी बुनियाद पर कायम रहे। उपभोक्ता संस्कृति हमारी सामाजिक नीव को हिला रही है। यह एक बड़ा खतरा है। भविष्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। 

श्यामाचरण दुबे

प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1 - लेखक के अनुसार जीवन में सुख से क्या अभिप्राय है?
उत्तर - लेखक के अनुसार जीवन में सुख से अभिप्राय 'सीमित संसाधनों' से है। पर आज सुख की व्याख्या बदल गई है, उपभोग भोग ही सुख है। इस नई जीवनशैली में लोग उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं।

प्रश्न 2 - आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है?
उत्तर - आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को निम्नलिखित प्रकारों से प्रभावित कर रही है -
 1) आज के माहौल में हमारा चरित्र बदल रहा है और हम उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं।
 2)  विज्ञापन और प्रसार की भाषा में, मोती जैसे दांत, पूर्ण सुरक्षित, गुणों से भरपूर, सुपर ऑफर, जैसे शब्दों का प्रयोग कर हमारी मानसिकता बदल रहे हैं।
3) नए-नए डिजाइन के परिधान और पिछले वर्ष का फैशन इस वर्ष पहनना शर्म की बात समझी जाती है।
4) बहुविज्ञापित शीतल पेयो से, आलू चिप्स, पिज्जा, बर्गर, आदि हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।

प्रश्न 3 - लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है?
उत्तर - लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती इसलिए कहा है क्योंकि हमारे सीमित संसाधनों का घोर अपव्यय हो रहा है। समाज के वर्गों में दूरी बढ़ती जा रही है। जीवन स्तर का यह बढ़ता अंतर आक्रोश और अशांति को जन्म दे रहा है। जैसे-जैसे दिखावे की यह संस्कृति फैलेगी, सामाजिक अशांति भी बढ़ेगी। 
गांधी जी ने कहा था कि हम स्वस्थ सांस्कृतिक प्रभाव के लिए अपने दरवाजे खिड़की खुले रखें पर अपनी बुनियाद पर कायम रहे। उपभोक्ता संस्कृति हमारी सामाजिक नींव को ही हिला रही है। यह एक बड़ा खतरा है। भविष्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती है।


प्रश्न 4 आशय स्पष्ट कीजिए -
क) जाने अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं।
उत्तर - हम भारतीयों की अपनी एक सांस्कृतिक पहचान है।  जो विभिन्न संस्कृतियों के मेलजोल से बनी है। यहां पर परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है और आस्थाओं का नाश होता जा रहा है। हम बिना विचार के बौद्धिक दासता को स्वीकार कर रहे हैं और पश्चिम के निवेश बनते जा रहे हैं। हमारी यह नई संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। विज्ञापन और प्रसार से हमारी मानसिकता बदल रही है।

ख) प्रतिष्ठा के अनेक रुप होते हैं, चाहे वे हास्यपद ही क्यों ना हो।
उत्तर - प्रतिष्ठा की होड़ में प्रतिष्ठित वर्ग कभी-कभी हास्य का पात्र भी बन जाते हैं क्योंकि विज्ञापन में प्रचार-प्रसार को देखते हुए वे महंगी से महंगी वस्तु खरीद लाते हैं, चाहे वे अनुपयोगी ही क्यों ना हो। इसमें सामान्य जन भी पीछे नहीं है वह भी उसे ललचाई निगाहों से देखते हैं। जैसे -
1)  घड़ी का काम केवल समय बताना है पर हैसियत जताने के लिए पचास - साठ हजार से लाख की घड़ी भी ले सकते हैं ।
2) भारत में अभी यह स्थिति नहीं आई है पर अमेरिका व यूरोप में अपने मरने से पहले ही अच्छी कीमत देकर आप की कब्र के आसपास सदा हरी घास होगी, मनचाहे फूल होंगे, मंद ध्वनि में निरंतर संगीत होगा, यह निश्चित कर लेते हैं। यह सब हास्यप्रद ही तो है।


रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5 - कोई वस्तु हमारे लिए उपयोगी हो या ना हो लेकिन टीवी पर विज्ञापन देखकर हम उसे खरीदने के लिए अवश्य लालायित होते हैं क्यों?
उत्तर - कोई वस्तु हमारे लिए उपयोगी हो या ना हो लेकिन टीवी पर विज्ञापन देखकर हम उसे खरीदने के लिए अवश्य लालायित होते हैं क्योंकि टीवी में उसका चित्रण बहुत ही सुंदर व आकर्षक दिखाया जाता है और टीवी पर बार-बार वही विज्ञापन देखने से हमारी मानसिकता उसे स्वीकार कर लेती है पर कुछ वस्तुए हम देखा देखी मैं खरीद लेते हैं।

प्रश्न 6 - आपके अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तुओं की गुणवत्ता होनी चाहिए या उसका विज्ञापन? तर्क देकर स्पष्ट करें।
उत्तर - हमारे अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार गुणवत्ता होनी चाहिए। उसका विज्ञापन नहीं। वस्तुओ  में गुणवत्ता रहेगी तो वह हमारे लिए स्वास्थ्यवर्धक और हमारे हित में होगी।

प्रश्न 7 - पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही 'दिखावे की संस्कृति' पर विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर - आज की
उपभोक्तावादी युग में पनप रही दिखावे की संस्कृति अपनी प्रधानता बढ़ाती जा रही है। लोग उपयोगी सामान के साथ अनुपयोगी सामान भी उठा लाते हैं। दिखावे के कारण ही लोग एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा भी रखते हैं जैसे -
1) म्यूजिक सिस्टम जरूरी है पर बिना समझ के चाहे आप उसे चला भी ना सके। सिर्फ दिखाने के लिए ही खरीद लाते हैं।
2) महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर तीस - तीस  हजार की सौंदर्य सामग्री का होना यह सब दिखावे के रूप है।

प्रश्न 8 - आज की उपभोक्ता संस्कृति हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? अपने अनुभव के आधार पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर - आज की संस्कृति हमारे त्योहारों को प्रभावित कर रही है। आज के उपभोक्तावादी युग में हम पश्चिमी संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं फिर वह परिधान की दुनिया में हो या फिर खानपान की, जिसमें हमारे रीति-रिवाजों का प्रभावित होना संभव है। त्योहारों में सामानों से बाजार भरे पड़े हैं, जिसमें उपयोगी कम और अनुपयोगी वस्तुएं अधिक होती हैं।

भाषा अध्ययन
प्रश्न 9 - धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है ।
इस वाक्य में 'बदल रहा है' क्रिया है। यह क्रिया कैसे हो रही है। धीरे-धीरे। अतः यहां धीरे-धीरे क्रिया-विशेषण है। जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। जहां वाक्य में हमें पता चलता है क्रिया कैसे, कब, कितनी और कहां हो रही है, वहां वह शब्द क्रिया-विशेषण कहलाता है।

क)  ऊपर दिए गए उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए क्रिया-विशेषण से युक्त पांच वाक्य पाठ मे से छाँटकर लिखिए।

उत्तर - क्रिया विशेषण के पांच वाक्य -
1)  दांतों को मोती जैसा चमकीला बनाता है।
2) आप को लुभाने की जी तोड़ कोशिश में निरंतर लगी रहती है।
3) हम आधुनिकता के झूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं।
4) विलासिता की सामग्री से बाजार भरा पड़ा है।
5) जाने अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र बदल रहा है।

ख) धीरे-धीरे, जोर से, लगातार, हमेशा, आजकल, कम, ज्यादा, यहां, उधर, बाहर इन क्रिया-विशेषण शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
उत्तर - क्रिया-विशेषण शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य -
1)  आज धीरे-धीरे बारिश हो रही है।
2)  बादल जोर से गरज रहे हैं।
3) हमें लगातार प्रयास करना चाहिए।
4) तुम हमेशा देर से आते हो।
5) दिल्ली में
आजकल बहुत गर्मी हो रही है
6)  इस बार बारिश कम हुई है।
7)  हमें ज्यादा पानी पीना चाहिए।
8) कल यहां बहुत शोर था।
9) मैं जानबूझकर उधर नहीं गया ।
10) आवाज बाहर से आ रही थी।


ग) नीचे दिए गए वाक्यों में से क्रिया विशेषण और विशेषण शब्द छांट कर अलग लिखिए।

 वाक्य      

  क्रिया-विशेषण

 विशेषण

 1) कल रात से निरंतर बारिश हो रही है।

 निरंतर

  कल रात

 2) पेड़ पर लगे पके आम देखकर बच्चो के मुंह मे पानी आ गया।

 मुंह में पानी

 पके

 3) रसोईघर से आती पुलाव की हल्की खुशबू से मुझे जोरों की भूख लग आई।

 जोरो की

 हल्की खुशबू

4) उतना ही खाओ जितनी भूख है। 

 उतना

 जितनी

 5) विलासिता की वस्तुओं से आजकल बाजार भरा पड़ा है।

 आजकल 

 विलासिता


class 9 hindi kshitij

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad