Class 9 Hindi kshitij Chapter 2 - ल्हासा की ओर - Arvindzeclass - NCERT Solutions

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Sunday, February 5, 2023

Class 9 Hindi kshitij Chapter 2 - ल्हासा की ओर


ल्हासा की ओर (सारांश)

वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी - कलिड़पोड़  का रास्ता जब नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती थी। यह एक व्यापारिक और सैनिक रास्ता भी था, इसलिए जगह - जगह फौजी चौकियां और किले भी बने हुए थे। जिसमें कभी फौजी पलटन रहती थी। आज वहां किसानों ने अपना बसेरा बना लिया है। ऐसे ही एक चीनी किले पर  हम चाय के लिए ठहरे। तिब्बत में यात्रियों के लिए बहुत तकलीफ है तो आराम की बातें भी है। वहां जाति - पाति, छुआछूत बिल्कुल नहीं है और औरतें परदा भी नहीं करती है। यहां पर भिखमंगो को चोरी के डर से भीतर नहीं आने देते हैं, नहीं तो अपरिचित हो, तब भी घर की बहू या सासु को अपनी झोली से चाय दे सकते हैं। आपके लिए उसे पका देंगी। उसीदिन हम थोड़ला के पहले के आखिरी गांव में पहुंच गए। यहां भी सुमति के जान पहचान वाले बहुत थे। हमें भिखमंगे के वेश में भी अच्छी जगह रहने को मिल गई। पांच साल बाद हम उसी रास्ते लौटे थे, एक भद्र यात्री के वेश में घोड़े पर सवार आए पर हमें रहने को जगह ना मिली हम एक गरीब झोपड़ी में रहे थे

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पाठय पुस्तक -क्षितिज (Class 9 Hindi)

पाठ 2 - ल्हासा की ओर 
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अब हमे सबसे विकट डाँड़ा थोड़ला पार करना था। डाँड़े तिब्बत में सबसे खतरे की जगह है। सौलह - सत्रह हजार फिट ऊंचाई होने के कारण पहाड़ के दोनों तरफ कोई भी गांव नहीं था, और यह जगह डाकुओं के लिए सबसे अच्छी जगह थी। सरकार, खुफिया विभाग और पुलिस पर खर्च नहीं करती थी।  यहां कोई गवाह भी नहीं मिल सकता। डकैत पहले आदमी को मार डालते हैं और उनका पैसा बाद में देखते हैं। हथियार का कानून ना होने के कारण यहां लोग पिस्तौल, बंदूक लिए फिरते हैं और अगला पड़ाव सौलह - सत्रह मील से कम नहीं था। मैंने सुमति से कहा लड़कोर तक के लिए दो घोड़े कर लो।


 दूसरे दिन हम घोड़ो पर सवार होकर ऊपर की ओर चले। दोपहर तक हम डाँड़े के ऊपर जा पहुंचे।  अब हम समुद्र तल से सत्रह - अट्ठारह हजार फिट ऊँचे खड़े थे। हमारी दक्षिण तरफ पूरब से पश्चिम की ओर हिमालय के हजारों शवेत शिखर चले गए थे, उत्तर की तरफ बहुत कम बर्फ वाली चोटिया दिखाई पड़ती थी, सर्वोच्च स्थान पर डाँड़े के देवता का स्थान था जो पत्थरों के ढेर, जानवरों की सींगो और रंग-बिरंगे कपड़ों की झंडियो से सजाया गया था। अब हमें बराबर उतराई चलना था। मेरा घोड़ा कुछ धीमे चलने लगा, धीरे-धीरे हम बहुत पिछड़ गए। 'जान नहीं पड़ता था, कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे'। एक जगह दो रास्ते फूट रहे थे, बाएँ का रास्ता लेकर  मील - डेड़ मील चला गया। आगे एक घर में पूछने से पता लगा कि लड़कोर का रास्ता दाहिने वाला था। फिर लौटकर उसी रास्ते को पकड़ा चार - पांच बजे सुमति इंतजार करते हुए मिले। ड़को में एक अच्छी जगह पर ठहरे थे। सुमति के अच्छे यजमान थे।
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पाठय पुस्तक - कृतिका 

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika
 
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अब हम तिड़री विशाल मैदान में थे, जो पहाड़ों से घिरा टापू सा मालूम होता था। आसपास के गांवों में भी सुमति के कितने ही यजमान थे। वह अपने यजमानों के पास जाना चाहते थे। मेरे मना करने पर सुमति ने स्वीकार किया। लेकिन वह एक यजमान से मिलना चाहते थे इसलिए आदमी मिलने का बहाना कर शेकर बिहार की ओर चलने के लिए कहा। शेकर की खेती के मुखिया भिक्षु (नमसे) बड़े भद्र पुरुष थे। वह बहुत प्रेम से मिले। यहां एक अच्छा मंदिर था जिसमें कंजूर (बुद्धवचन - अनुवाद) की हस्तलिखित 103 पोथियां रखी हुई थी, मेरा आसन भी वही लगा। सुमित ने फिर आसपास के यजमानो  के पास जाने के लिए पूछा। मैं पुस्तकों के भीतर था इसलिए उन्हें जाने के लिए कह दिया। दूसरे दिन वह गए और दोपहर तक चले आए। तिड़री गांव वहां से दूर नही था, हमने अपना सामान उठाया और भिक्षु (नमसे) से विदाई लेकर चल पड़े। 
राहुल सांकृतयायन



प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1-
थोड़ला के पहले के आखिरी गांव पहुंचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर -
थोड़ला के पहले के आखिरी गांव पहुंचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला। क्योंकि वहां भी सुमति के जान पहचान के आदमी थे। और दूसरी यात्रा के समय बहुत कुछ लोगों की उस वक्त की मनोवृति पर ही निर्भर था। खासकर शाम के वक्त वहां के लोग छड़ पीकर बहुत कम होशो हवास में रहते थे।

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Class 9 Subjects
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प्रश्न 2 - उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर - उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यहां लाठी की तरह लोग पिस्तौल बंदूक लिए फिरते थे तथा निर्जन स्थानों में मरे हुए आदमियों की कोई परवाह नहीं करता था और वहां कोई  गवाह  भी नहीं मिल सकता था। डाकूओ का भी भय बना रहता था जो लोगों को जान से मार देते थे।

प्रश्न 3 - लेखक लड़कोर के मार्ग में अपने साथियों के किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर - लेखक लड़कोर के मार्ग में अपने साथियों से रास्ता भटक जाने के कारण पिछड़ गया। एक जगह दो रास्ते फूट रहे थे, लेखक बाय का रास्ता लेकर डेढ़ मील चला गया। आगे एक घर मे पूछने से पता लगा कि
लड़कोर का रास्ता दाहिने वाला था ।

प्रश्न 4 - लेखक ने शेकर विहार मे सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर - लेखक ने शेकर बिहार में सुमति को उनके
यजमानों के पास जाने से रोका परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास नहीं किया क्योंकि सुमति ने फिर आसपास अपने यजमानों के पास जाने के बारे में पूछा, पर लेखक पुस्तकों के भीतर था, इसलिए उन्हें जाने को कह दिया।

प्रश्न 5 - अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर - अपनी यात्रा के दौरान लेखक को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा -
1) लेखक को
भिखमंगे के वेश में यात्रा करनी पड़ी।
2) डाड़े तिब्बत में सबसे खतरे की जगह थी जिसके दोनों तरफ गांव नहीं थे।
3) हथियार का कानून न रहने के कारण लोग बंदूक लिए फिरते थे। जिस से जान का खतरा रहता था।
4) पहाड़ की मिलो ऊंची चढ़ाई थी, पीठ पर समान लाद कर जाना पड़ रहा था।
5)
लड़कोर जाते समय रास्ता भटक जाते हैं।
6) तिब्बत की धूप बहुत तेज थी, मोटे कपड़े से सिर को ढक लें तो गर्मी खत्म हो जाती, पर पीछे का कंधा बर्फ हो जाता था।

प्रश्न 6 - प्रस्तुत यात्रा - वृतांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर - प्रस्तुत यात्रा - वृतांत के आधार पर उस समय के तिब्बती समाज में जांति - पांती, छुआँछूत का सवाल ही नहीं था और ना औरतें पर्दा ही करती थी। निम्न श्रेणी के भिखमंगों को लोग चोरी के डर से घर के भीतर नहीं आने देते थे। नहीं तो आप बिल्कुल घर के भीतर जा सकते हैं। आप बिल्कुल अपरिचित हो, तब भी घर की बहू या सासु को अपनी झोली से चाय दे सकते हैं वह आपके लिए उसे पका भी देंगी ।

प्रश्न 7 - 'मैं अब पुस्तकों के भीतर था।' नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है?
क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
ख) लेखक पुस्तकों की सेल्फ के भीतर चला गया।
ग) लेखक के चारों और पुस्तकें ही थी।
घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर - क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया ।


रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8 - सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गांव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर - लेखक को यात्रा के दौरान मिला मंगोल भिक्षु जिसका नाम लोब्जड़ शेख था। इसका अर्थ है सुमति प्रज्ञ। अत: सुविधा के लिए लेखक ने उसे सुमति नाम से पुकारा है।
सुमति के व्यक्तित्व की विशेषताओं का चित्रण -
1) सुमति एक सच्चे और अच्छे व्यक्ति हैं।
2) सुमति लोगों की सहायता करने के लिए भी तैयार रहते हैं। वह यात्रा के दौरान लेखक की सहायता करते हैं।
3) सुमति एक खुशमिजाज और मिलनसार व्यक्ति है क्योंकि उनके जान पहचान के लोग लगभग सभी गांव में मिलते हैं।
4) लेखक के रास्ता भटक जाने पर सुमति कई घंटे लेखक का इंतजार करते हैं इससे पता लगता है कि वह एक अच्छे इंसान भी हैं।

प्रश्न 9 -  'हालांकि उस वक्त मेरा वेश ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख्याल करना चाहिए था।'
उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार - व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।?
उत्तर - हालांकि उस वक्त मेरा वेश ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख्याल करना चाहिए था। सुमति के यजमान भिक्षु नमसे बहुत अच्छे आदमी थे। लेखक उस वक्त भिखमंगे के वेश में थे, भिखमंगे के वेश में होने पर भी वह लेखक से बड़े प्रेम से मिलते हैं और अपने यहां ठहरने के लिए जगह देते हैं। यह उचित है कि हमारे आचार - व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। हमारी वेशभूषा देखकर ही लोग व्यवहार करते हैं तथा लोगों की पहचान करते हैं। वेशभूषा ही समाज में आदर सम्मान दिलाती है।

प्रश्न 10 - यात्रा वृतांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द - चित्र प्रस्तुत करें। वहां की स्थिति आपके राज्य / शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर - यात्रा - वृतांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का चित्रण -
तिब्बत में सबसे विकट डाँड़ा थोड़ला था। डाँड़े तिब्बत में सबसे खतरे की जगह थी।  16 - 17 फीट की ऊंचाई होने के कारण उनके दोनों तरफ मीलो तक कोई गांव नहीं होते थे। समुद्र तल से 17 - 18 फीट ऊंचे खड़े थे। दक्षिण तरफ पूरब से पश्चिम की ओर हिमालय के हजारों श्वेत शिखर थे। भीड़े की ओर दिखने वाले पहाड़ों में ना बर्फ थी और ना ही हरियाली। उत्तर की तरफ बहुत कम बर्फ वाली चोटियां दिखाई पड़ती थी।  तिब्बत की स्थिति बहुत मुश्किल है जो यहां के राज्य शहर से भिन्न है।

प्रश्न 11 - आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी। यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें । ?
उत्तर - छात्र अपने अनुभवों को स्वयं लिखें ।

प्रश्न 12 - यात्रा वृतांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्य पुस्तक में कौन-कौन सी विधाएं हैं। प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है ?
उत्तर - प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक की विधाएं -
कहानी - दो बैलों की कथा
यात्रा वृतांत - लहासा की ओर
निबंध - उपभोक्तावाद की संस्कृति, एक कुत्ता और एक मैना
संस्मरण - सांवले सपनों की याद, मेरे बचपन के दिन
रिपोतार्ज - नाना साहब की पुत्री देवी मैं ना को भस्म कर दिया गया
व्यंग - संग्रह - प्रेमचंद के फटे जूते
प्रस्तुत विधा में यात्रा वृतांत है जिसमें लेखक ने यात्रा का वर्णन किया है जबकि अन्य विधाओं में किसी चरित्र का चित्रण किया जाता है इसलिए यह विधा और विधाओं से अलग है।

भाषा अध्ययन
प्रश्न 13 - किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है जैसे -
सुबह होने से पहले हम गांव में थे।
पौ फटने वाली थी कि हम गांव में थे।
तारों की छांव रहते रहते हम गांव पहुंच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए
जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।
उत्तर -
घोड़ा बहुत धीरे-धीरे जा रहा था।
           घोड़ा बहुत सुस्त पड़ गया था।

प्रश्न 14 - ऐसे शब्द जो किसी 'अंचल' यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढ़ूंढ़कर लिखिए?
उत्तर -
आंचलिक शब्द  - डाँड़ा, थोड़ला, भीड़े, कंडे, थुक्पा, भरिया, चिऱी, खोटी, छड़, कूची - कूची, गंडे आदि।

प्रश्न 15 - पाठ में कागज, अक्षर, मैदान के आगे क्रमशः मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छांटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हो।
उत्तर - बड़े भद्र, अच्छा, बहुत, कड़ी, छोटी - सी, ऊंची, विकट, निम्न, टोटीदार, सर्वोच्च इत्यादि

पाठेतर सक्रियता
* यह यात्रा राहुल जी ने 1930 में की थी। आज के समय यदि तिब्बत की यात्रा की जाए तो राहुल जी की यात्रा से कैसे भिन्न होगी?
उत्तर - उस समय सुविधा का अभाव होने के कारण राहुल जी को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, पर अब तिब्बत में सुविधाएं उपलब्ध है तथा जगह-जगह सड़कें पहुंच गई हैं। इसलिए आज के समय में राहुल जी अगर तिब्बत की यात्रा करें, तो उनकी यात्रा पहले की अपेक्षा सरल होगी।

* क्या आपके किसी परिचित को घुमक्कड़ी / यायावरी का शौक है? उसकी इस
शौक का उसकी पढ़ाई / काम आदि पर क्या प्रभाव पड़ता होगा लिखें।
उत्तर - छात्र स्वयं लिखें

अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
आम दिनों में समुद्र के किनारे के इलाके बेहद खूबसूरत लगते हैं। समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उसमें जुड़े दूसरे कारोबार ओ में लगे हैं। दिसंबर 2004 को सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफानी लहरों के प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण भी बन सकती है।

प्रकृति कब अपने ही ताने-बाने को उलट कर रख देगी कहना मुश्किल है। हम उसके बदलते मिजाज को अपना कोप कहले या कुछ और, मगर यह अबूझ पहेली अक्सर हमारे विश्वास के चीथड़े कर देती है और हमें यह एहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं। एशिया के एक बड़े हिस्से में आने वाले उस भूकंप ने कई दीपों को इधर-उधर खिसका कर एशिया का नक्शा ही बदल डाला। प्रकृति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजें इंसान से वापस ले ली है जिसकी कसक अभी तक है।

दुख जीवन को मांजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है। वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सके और रोशनी को बचाए रखने के लिए जतन करें। इस जतन से सभ्यता और संस्कृति का निर्माण होता है। सुनामी के कारण दक्षिण भारत और विश्व के अन्य देशों में जो पीड़ा हम देख रहे हैं, उसे निराशा के चश्मे से ना देखें। ऐसे समय में भी मेघना, अरुण और मैगी जैसे बच्चे हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते हैं। 13 वर्षीय महिला और अरुण दो  दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव - जंतुओं से मुकाबला करते हुए किनारे आ लगे। इंडोनेशिया की रिजा पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लाद कर पानी के बीच तैर रही थी कि एक विशालकाय सांप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी
मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा उतर आए समुद्र में, 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की यह जलपरी चल पड़ी पगलाए सागर से दो-दो हाथ करने। 10 मीटर से ज्यादा ऊंची सुनामी लहरें जो कोई बाधा, रुकावट मानने को तैयार नहीं थी, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुई।

जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूंढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस बात का सबूत है कि मानवता हार नहीं मानती।

1)  कौन - सी आपदा को सुनामी कहा जाता है?
2) 'दुख जीवन को
मांजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है' आशय स्पष्ट कीजिए।
3)
मैगी,
मेघना और अरुण ने सुनामी जैसी आपदा का सामना किस प्रकार किया?
4) प्रस्तुत गद्यांश में 'दृढ़ निश्चय' और 'महत्व' के लिए किन शब्दों का प्रयोग हुआ है?
5) इस गद्यांश के लिए एक शीर्षक 'नाराज समुद्र' हो सकता है आप कोई अन्य शीर्षक दीजिए।


उत्तर 1 - समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उससे जुड़े दूसरे कारोबार में लगे हैं।  दिसंबर 2004 को सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफानी लहरों के
प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण भी बन सकती है।

उत्तर 2 - दुख जीवन को मांजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है । वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सके और रोशनी को बचाए रखने के लिए जतन करें। इस जतन से सभ्यता और संस्कृति का निर्माण होता है।

उत्तर 3 - मेघना, अरुण और मैगी जैसे बच्चे हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते हैं। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव - जंतुओं से मुकाबला करते हुए किनारे आ लगे। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा उतर आई समुद्र में, 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की यह जलपरी चल पड़ी पगलाए सागर से दो-दो हाथ करने । 10 मीटर से ज्यादा ऊंची सुनामी लहरें जो कोई बाधा, रुकावट मानने को तैयार नहीं थी, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुई।

उत्तर 4 - जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूंढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस बात का सबूत है कि मानवता हार नहीं मानती।

उत्तर 5 - समुद्र का प्रकोप या  क्रोधित समुद्र।


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